प्रेमानंदजी महाराज के मार्गदर्शन से भक्तों के आध्यात्मिक प्रश्नों का समाधान
प्रेमानंदजी: सेवा में अगर क्रोध भी आये, तो भी रुको मत। सेवा अहंकार को जलाती है।
प्रेमानंदजी: श्वास के साथ उनका नाम बाँध दो, फिर सेवा भी साधना बन जायेगी।